ग्लोबल मार्केट का भारतीय बाजार पर असर

ग्लोबल मार्केट का भारतीय बाजार पर असर

ग्लोबल मार्केट और भारतीय शेयर बाजार के बीच गहरा संबंध है। कई कारक सीधे भारतीय बाजार को प्रभावित करते हैं, जिनमें विदेशी बाजारों का प्रदर्शन, कमोडिटी की कीमतें, विदेशी निवेश, और वैश्विक आर्थिक नीतियां शामिल हैं। आइए, विस्तार से समझते हैं कि ये कैसे भारतीय बाजार पर असर डालते हैं।

1. अमेरिकी शेयर बाजार और भारतीय बाजार का संबंध

अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और उसका शेयर बाजार (S&P 500, NASDAQ, Dow Jones) भारतीय बाजार के मूड को प्रभावित करता है।

  • फेडरल रिजर्व की नीति: अगर फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ाता है, तो डॉलर मजबूत होता है, और विदेशी निवेशक भारत से पैसा निकाल सकते हैं।
  • बॉन्ड यील्ड का प्रभाव: अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड की यील्ड बढ़ने से निवेशक भारतीय शेयरों से पैसा निकालकर सुरक्षित संपत्तियों (बॉन्ड्स) में निवेश कर सकते हैं।

2. डॉलर-रुपया विनिमय दर और विदेशी निवेश

  • रुपये की कमजोरी: अगर डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है, तो आयात महंगा हो जाता है, जिससे महंगाई बढ़ सकती है और बाजार पर दबाव आ सकता है।
  • विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) प्रवाह:
    • अगर वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता रहती है, तो FII भारतीय बाजार से पैसा निकाल सकते हैं।
    • अमेरिकी फेड ब्याज दरें बढ़ाने पर उभरते बाजारों से पूंजी का बहिर्वाह हो सकता है।

3. कच्चे तेल और अन्य कमोडिटी की कीमतों का प्रभाव

भारत कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक है, और इसकी कीमतों में वृद्धि भारतीय बाजार को प्रभावित कर सकती है।

  • महंगाई पर असर: तेल महंगा होने से ट्रांसपोर्ट और उत्पादन लागत बढ़ती है, जिससे कंपनियों की प्रॉफिटेबिलिटी पर असर पड़ता है।
  • रुपये की मजबूती/कमजोरी: महंगे कच्चे तेल से व्यापार घाटा बढ़ता है, जिससे रुपया कमजोर हो सकता है।

4. चीन और यूरोप की अर्थव्यवस्थाओं का प्रभाव

  • चीन का मंदी में जाना: अगर चीन की अर्थव्यवस्था धीमी होती है, तो कमोडिटी की मांग गिर सकती है, जिससे वैश्विक बाजारों में गिरावट आ सकती है।
  • यूरोप में मंदी: भारत की IT कंपनियों के लिए यूरोप एक बड़ा बाजार है, और वहां मंदी आने से इन कंपनियों की कमाई प्रभावित हो सकती है।

5. वैश्विक युद्ध और भू-राजनीतिक घटनाओं का प्रभाव

  • रूस-यूक्रेन युद्ध या मध्य पूर्व में तनाव से बाजार में अस्थिरता आ सकती है।
  • व्यापार प्रतिबंध और सप्लाई चेन बाधा: अगर किसी कारणवश चीन या यूरोप से सप्लाई चेन प्रभावित होती है, तो भारतीय बाजार भी प्रभावित होगा।

6. क्रिप्टोकरेंसी और फेडरल रिजर्व की डिजिटल नीति

  • क्रिप्टोकरेंसी में उतार-चढ़ाव ग्लोबल इन्वेस्टमेंट सेंटिमेंट को प्रभावित करता है।
  • अमेरिका या चीन द्वारा डिजिटल करेंसी पर सख्त कदम उठाने से निवेशक अन्य जगहों पर निवेश शिफ्ट कर सकते हैं।

7. भारतीय कंपनियों पर वैश्विक प्रभाव

कुछ सेक्टर ऐसे हैं जो सीधे तौर पर ग्लोबल इवेंट्स से प्रभावित होते हैं:

  • IT सेक्टर: भारतीय IT कंपनियों की कमाई का बड़ा हिस्सा अमेरिका और यूरोप से आता है। मंदी के समय विदेशी ग्राहक खर्च घटाते हैं, जिससे IT कंपनियों की ग्रोथ धीमी होती है।
  • मेटल और ऑटोमोबाइल सेक्टर: चीन और यूरोप से मांग घटने पर ये सेक्टर प्रभावित होते हैं।
  • फार्मा सेक्टर: अमेरिका और यूरोप में हेल्थकेयर रेगुलेशन बदलने से भारतीय दवा कंपनियों को नुकसान या फायदा हो सकता है।

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