RBI की नीतियाँ और उनका शेयर बाजार पर प्रभाव

RBI की नीतियाँ और उनका शेयर बाजार पर प्रभाव

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) देश की मौद्रिक नीति को नियंत्रित करता है और यह शेयर बाजार पर गहरा प्रभाव डालता है। रेपो रेट, महंगाई नियंत्रण, लिक्विडिटी सपोर्ट और बैंकिंग नियमों में बदलाव शेयर बाजार की दिशा तय करते हैं

इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि RBI की नीतियाँ कैसे शेयर बाजार को प्रभावित करती हैं और निवेशकों को किन पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए।

1. RBI की प्रमुख नीतियाँ जो शेयर बाजार को प्रभावित करती हैं

📌 (1) रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट

🔹 रेपो रेट – यह वह दर है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है।
🔹 रिवर्स रेपो रेट – यह वह दर है जिस पर बैंक RBI में पैसा जमा करते हैं।

रेपो रेट बढ़ने से:

  • लोन महंगे हो जाते हैं, जिससे कंपनियों की ग्रोथ पर असर पड़ता है।
  • निवेशक महंगे कर्ज के कारण कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश करने से बचते हैं।
  • शेयर बाजार में मंदी देखने को मिल सकती है।

रेपो रेट घटने से:

  • कंपनियों को सस्ता कर्ज मिलता है, जिससे उनकी कमाई और विस्तार बढ़ता है।
  • निवेशक इक्विटी मार्केट में ज्यादा पैसा लगाते हैं, जिससे शेयर बाजार में उछाल आता है।

🎯 उदाहरण:
2020 में COVID-19 के दौरान RBI ने रेपो रेट घटाया था, जिससे शेयर बाजार तेजी से ऊपर गया।

📌 (2) महंगाई और मौद्रिक नीति (Inflation & Monetary Policy)

महंगाई को नियंत्रित करने के लिए RBI अपनी मौद्रिक नीति को सख्त या नरम करता है।

महंगाई बढ़ने पर:

  • RBI ब्याज दरें बढ़ाता है जिससे कंपनियों की फंडिंग महंगी हो जाती है।
  • निवेशक कम जोखिम वाले एसेट्स (FD, Bonds) की ओर रुख करते हैं।
  • शेयर बाजार में गिरावट आती है।

महंगाई घटने पर:

  • ब्याज दरें कम रहती हैं जिससे कंपनियों को सस्ता फंड मिलता है।
  • शेयर बाजार में पूंजी प्रवाह बढ़ता है, जिससे स्टॉक्स में तेजी आती है।

🎯 उदाहरण:
2022 में महंगाई को रोकने के लिए RBI ने रेपो रेट बढ़ाया था, जिससे शेयर बाजार में गिरावट देखी गई।

📌 (3) लिक्विडिटी सपोर्ट और कैश रिजर्व रेश्यो (CRR, SLR)

🔹 CRR (Cash Reserve Ratio) – यह वह राशि होती है जो बैंकों को RBI के पास जमा करनी होती है।
🔹 SLR (Statutory Liquidity Ratio) – यह वह न्यूनतम राशि होती है जो बैंकों को सरकारी बॉन्ड्स में निवेश करनी होती है।

अगर CRR और SLR बढ़ते हैं:

  • बैंकों के पास कर्ज देने के लिए कम पैसा बचता है।
  • शेयर बाजार में लिक्विडिटी कम होती है, जिससे गिरावट आती है।

अगर CRR और SLR घटते हैं:

  • बैंकों के पास ज्यादा पैसा आता है, जिससे लोन और निवेश बढ़ते हैं।
  • शेयर बाजार में तेजी देखने को मिलती है।

🎯 उदाहरण:
अगर RBI अचानक CRR बढ़ा दे, तो बैंकिंग और NBFC सेक्टर पर नेगेटिव असर पड़ सकता है।

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